सीकर। शीतलाष्टमी के साथ ही "गोर ए गणगौर मातो खोल ए किवाड़ी" सरीखे गीतों
के स्वर सुनाई देने लगे हैं। होली के साथ ही गणगौर पूजन कर सिलसिला शुरू हो
गया। इसी क्रम में सोमवार को पारंपरिक रीति रिवाज से अनुरूप कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर ईसर व गणगौर की प्रतिमाएं बनाई।