रींगस सीएचसी के हालात पीएचसी से भी बदतर
रींगस। कस्बे का राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र केवल नाम का ही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं यहाँ के हालात प्राथ्मिक स्वास्थ्य केन्द्र से भी बदत्तर है। केन्द्र को सीएचसी का दर्जा तो मिल गया लेकिन स्टाफ व सुविधाऐं ने होने से लोगो को मजबूरन निजी अस्पतालो में ईलाज करवाना पडता है। अस्पताल में चिकित्सको व नर्सिग स्टाफ की कमी सर्वाधिक खलती है। कई बार बडा हादसा होने पर निजी अस्पतालो के चिकित्सको व डाॅक्टरो को मदद के बुलाना पडता है। सीएचसी में औसतन13 हजार रोगी प्रती माह का आउटडोर है। रोगीयो की संख्या के मुकाबले सीएचसी में मौजूद स्टाफ आप पास के अस्पतालो के स्टाफ के मुकाबले न के बराबर है। सीएचसी में केवल छह चिकित्सक, एक प्रथ्म श्रेणी व पांच द्वितीयक श्रेणी के नर्सिग कर्मी, एक ए एन एम है तथा दो जीएनएम है जो की हडताल पर चल रहे है।
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महीने के सात सौ मरीजो पर आठ डाॅक्टर व सात कम्पाउडर
रींगस सीएच सी का एक महिने का आउटडोर 13 हजार मरीज है लेकिन केवल 6 डाॅक्टर का स्टाफ मौजूद है वही महरोली व मउ सीएचसीयो का आउटडोर माषिक 12सौ व 7सौ मरीजो का है दोनो ही सीएचसीयो में आठ-आठ चिकित्सको व सात-सात कम्पाउण्डरो की नियुक्ती है।
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डिलेवरी वार्ड में सुविधाओ का है टोटा
सीएचसी के डिलेवरी वार्ड में सुविधाओ के अभाव के चलते डाॅक्टर भी डिलेवरी करवाने से डरते है। अस्पताल में नोर्मल डिलेवरी करवाने की भी सुवधिाए समुचित रूप से मौजूद नही है।एसे में सिजेरियन डिलेवरी करवाना तो बहुत दूर की बात है। डिलेवरी केस अगर थोडासा भी जटिल हो तो प्रसुता को अन्य अस्पताल में रैफर करना पडता है।मजबूरन लोगो को कस्बे के निजी अस्पतालो में डिलेवरी करवानी पडती है। जिसमें गरीब तबके के लोगो को सर्वाधिक असुविधा होती है।
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जन प्रतिनिधीयो के वादे केवल वादे ही रह गये
सीएचसी में सुविधाओ का विस्तार करवाने की बात को लेकर के क्षेत्र के विधायक व सांसद के द्वारा जनता से वादे किये गये थे कि जनता को सीएचसी में सभी सुविधाये मुहया करवायी जायेगी। अस्पताल को सौ बैड का अस्पताल बनवाने व मातृ शिशु वार्ड का निर्माण करवाने के वायदे किये गये थे। मगर अभी तक तो अस्पताल की मूल भूत सुविधाओ में भी विस्तार नही हो पाया है।
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इनका कहनाः- अस्पताल में सुविधाओ का अभाव है जिसके चलते हमें सिजेरियन डिलेवरी केस को रैफर करना पडता है। अस्पताल में नर्सिग कर्मीयो की कमी के कारण डिलेवरी करवाने में परेशानी होती है। डाॅ. सरोज ढाका, चिकित्सा अधिकारी, स्त्री रोग, रींगस सीएचसी
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महीने के सात सौ मरीजो पर आठ डाॅक्टर व सात कम्पाउडर
रींगस सीएच सी का एक महिने का आउटडोर 13 हजार मरीज है लेकिन केवल 6 डाॅक्टर का स्टाफ मौजूद है वही महरोली व मउ सीएचसीयो का आउटडोर माषिक 12सौ व 7सौ मरीजो का है दोनो ही सीएचसीयो में आठ-आठ चिकित्सको व सात-सात कम्पाउण्डरो की नियुक्ती है।
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डिलेवरी वार्ड में सुविधाओ का है टोटा
सीएचसी के डिलेवरी वार्ड में सुविधाओ के अभाव के चलते डाॅक्टर भी डिलेवरी करवाने से डरते है। अस्पताल में नोर्मल डिलेवरी करवाने की भी सुवधिाए समुचित रूप से मौजूद नही है।एसे में सिजेरियन डिलेवरी करवाना तो बहुत दूर की बात है। डिलेवरी केस अगर थोडासा भी जटिल हो तो प्रसुता को अन्य अस्पताल में रैफर करना पडता है।मजबूरन लोगो को कस्बे के निजी अस्पतालो में डिलेवरी करवानी पडती है। जिसमें गरीब तबके के लोगो को सर्वाधिक असुविधा होती है।
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जन प्रतिनिधीयो के वादे केवल वादे ही रह गये
सीएचसी में सुविधाओ का विस्तार करवाने की बात को लेकर के क्षेत्र के विधायक व सांसद के द्वारा जनता से वादे किये गये थे कि जनता को सीएचसी में सभी सुविधाये मुहया करवायी जायेगी। अस्पताल को सौ बैड का अस्पताल बनवाने व मातृ शिशु वार्ड का निर्माण करवाने के वायदे किये गये थे। मगर अभी तक तो अस्पताल की मूल भूत सुविधाओ में भी विस्तार नही हो पाया है।
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इनका कहनाः- अस्पताल में सुविधाओ का अभाव है जिसके चलते हमें सिजेरियन डिलेवरी केस को रैफर करना पडता है। अस्पताल में नर्सिग कर्मीयो की कमी के कारण डिलेवरी करवाने में परेशानी होती है। डाॅ. सरोज ढाका, चिकित्सा अधिकारी, स्त्री रोग, रींगस सीएचसी