आमजन में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना आवश्यक है-
रीटा सिंह
सीकर, 25 फरवरी: जिला प्रमुख रीटा सिंह ने कहा हैं कि आमजन में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के साथ ही जल का महत्व, मितव्ययता के साथ उपयोग करने तथा पेयजल सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। वे मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभाभवन में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा 20 से 25 फरवरी तक मनाये जा रहे जागरूकता सप्ताह के अन्तर्गत आयोजित जिला स्तरीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पेयजल संरक्षण की एक पाॅलिसी बनाया जाना जरूरी है ताकि लोगों को हर समय सभी परिस्थितियों में पीने, भोजन बनाने एवं अन्य घरेलू आवश्यकताओं तथा जानवरों के लिए पर्याप्त सुरक्षित जल उपलब्ध हो सकें। उन्होंने राजकीय कार्यालयों, घरांे मेें भी जल संरक्षण नीति लागू करने, लोगों में जलसंरक्षण के प्रति जागरूकता लाने, जिले को लीकेज मुक्त करने, पानी के मीटर का प्रयोग करने तथा राज्य सरकार को जल संरक्षण की नीति बनाने का प्रस्ताव भिजवाने की बात कही। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जल का दोहन नहीं हो सकें इसके लिए हैण्डपम्प, ट्यूबवैल आवश्यकता के अनुरूप ही स्वीकृत किए जाने की बात बताई। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से कहा कि वे गांवों में रहने वाले लोगों को यह बतायें कि उनके पास कितना पानी उपलब्ध है व उसका वे उपयोग किस प्रकार करते हैं तथा पेयजल संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए उन्हें कौनसे उपाय करने चाहिए।
कार्यशाला के अध्यक्षीय उद्बोधन में जिला कलेक्टर एस.एस.सोहता ने कहा कि पानी की मात्रा सीमित है हमें किफायत के साथ इसका उपयोग करने की महत्ति आवश्यकता हैं अन्यथा चैथा महायुद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा तथा भावी पीढ़ी को भी जल संकट का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जल दोहन से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है तथा अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से भी वर्षा के जल का रिचार्जिंग सिस्टम अपनाने को कहा। उन्होंने पानी का व्यर्थ उपयोग नहीं करने, वर्षा के पानी का रिचार्जिंग करने पर सिंचाई विभाग तथा पीएचईडी को सक्रिय प्रयास करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए समुदाय का नेतृत्व एवं प्रतिनिधि के रूप में जनप्रतिनिधियों को ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के माध्यम से समाज को प्रेरित एवं शिक्षित करना चाहिए।
सीकर विधायक रतन जलधारी ने इस अवसर पर कहा कि पुराने जोहड़, सरकारी कार्यालयों, घरों के सामने बनी नालियों का पानी जमीन के अन्दर जाए जिसके लिए सोख्ते गढ्ढे खोदे जाने की आवश्यकता हैं। उन्होंने राजकीय कार्यालयों, भवनों में जल संरक्षण के लिए जलकुण्ड बनाये जाने की बात पर बल दिया। इससे पूर्व अतिथियों ने सरस्वती के चित्रा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यशाला का शुभारम्भ किया। अधीक्षण अभियन्ता डाॅ.अनुराग प्रसाद ने जल संरक्षण के लिए विभाग द्वारा बनाई जा रही कार्ययोजना के सम्बन्ध में कार्यशाला में व्यापक जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि आमजन को दूषित पानी का उपयोग नहीं करने एवं ब्लाक स्तर पर पानी जांच की लेबोरेटरी स्थापित की जाने की जानकारी देते हुए कहा कि जिले में 53 आर.ओ.प्लांट शुद्ध पेयजल के लिए स्थापित किए जा रहे हैं जिनसे आमजन को 10 पैसे प्रति लीटर शुद्ध पेयजल मुहैया हो सकेगा। उन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, पानी का रिसाईकिलिंग किए जाने, हैण्डपम्प की साफ-सफाई रखी जाने व ग्राम पंचायत स्तर पर जलनीति बनाये जाने की जानकारी दी। कार्यशाला में धोद प्रधान उस्मान खां, दांतारामगढ़ प्रधान भंवरलाल वर्मा, जिला परिषद सदस्य ताराचन्द धायल, बनवारीलाल पिलानियां, रामस्वरूप महिचा ने जल संरक्षण के सम्बन्ध में अपने सुझाव दिए। कार्यशाला में अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेन्द्र लोढ़ा, उप जिला प्रमुख पूरण कंवर, पिपराली प्रधान संगीता मूण्ड, अधिशाषी अभियन्ता विनोद दाधीच, गिरधारीलाल, चुन्नीलाल, संजय खीचड़, समन्वयक दीपेन्द्र सिंह, विनोद शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) ओमप्रकाश चलका, डीईओ (प्रारम्भिक) मन्नालाल सिंघल, भूजल वैज्ञानिक आर.डी.ज्याणी सहित मीडियाकर्मी एवं संभागीगण ने हिस्सा लिया।
रीटा सिंह
सीकर, 25 फरवरी: जिला प्रमुख रीटा सिंह ने कहा हैं कि आमजन में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के साथ ही जल का महत्व, मितव्ययता के साथ उपयोग करने तथा पेयजल सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। वे मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभाभवन में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा 20 से 25 फरवरी तक मनाये जा रहे जागरूकता सप्ताह के अन्तर्गत आयोजित जिला स्तरीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पेयजल संरक्षण की एक पाॅलिसी बनाया जाना जरूरी है ताकि लोगों को हर समय सभी परिस्थितियों में पीने, भोजन बनाने एवं अन्य घरेलू आवश्यकताओं तथा जानवरों के लिए पर्याप्त सुरक्षित जल उपलब्ध हो सकें। उन्होंने राजकीय कार्यालयों, घरांे मेें भी जल संरक्षण नीति लागू करने, लोगों में जलसंरक्षण के प्रति जागरूकता लाने, जिले को लीकेज मुक्त करने, पानी के मीटर का प्रयोग करने तथा राज्य सरकार को जल संरक्षण की नीति बनाने का प्रस्ताव भिजवाने की बात कही। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जल का दोहन नहीं हो सकें इसके लिए हैण्डपम्प, ट्यूबवैल आवश्यकता के अनुरूप ही स्वीकृत किए जाने की बात बताई। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से कहा कि वे गांवों में रहने वाले लोगों को यह बतायें कि उनके पास कितना पानी उपलब्ध है व उसका वे उपयोग किस प्रकार करते हैं तथा पेयजल संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए उन्हें कौनसे उपाय करने चाहिए।
कार्यशाला के अध्यक्षीय उद्बोधन में जिला कलेक्टर एस.एस.सोहता ने कहा कि पानी की मात्रा सीमित है हमें किफायत के साथ इसका उपयोग करने की महत्ति आवश्यकता हैं अन्यथा चैथा महायुद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा तथा भावी पीढ़ी को भी जल संकट का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जल दोहन से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है तथा अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से भी वर्षा के जल का रिचार्जिंग सिस्टम अपनाने को कहा। उन्होंने पानी का व्यर्थ उपयोग नहीं करने, वर्षा के पानी का रिचार्जिंग करने पर सिंचाई विभाग तथा पीएचईडी को सक्रिय प्रयास करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए समुदाय का नेतृत्व एवं प्रतिनिधि के रूप में जनप्रतिनिधियों को ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के माध्यम से समाज को प्रेरित एवं शिक्षित करना चाहिए।
सीकर विधायक रतन जलधारी ने इस अवसर पर कहा कि पुराने जोहड़, सरकारी कार्यालयों, घरों के सामने बनी नालियों का पानी जमीन के अन्दर जाए जिसके लिए सोख्ते गढ्ढे खोदे जाने की आवश्यकता हैं। उन्होंने राजकीय कार्यालयों, भवनों में जल संरक्षण के लिए जलकुण्ड बनाये जाने की बात पर बल दिया। इससे पूर्व अतिथियों ने सरस्वती के चित्रा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यशाला का शुभारम्भ किया। अधीक्षण अभियन्ता डाॅ.अनुराग प्रसाद ने जल संरक्षण के लिए विभाग द्वारा बनाई जा रही कार्ययोजना के सम्बन्ध में कार्यशाला में व्यापक जानकारी प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि आमजन को दूषित पानी का उपयोग नहीं करने एवं ब्लाक स्तर पर पानी जांच की लेबोरेटरी स्थापित की जाने की जानकारी देते हुए कहा कि जिले में 53 आर.ओ.प्लांट शुद्ध पेयजल के लिए स्थापित किए जा रहे हैं जिनसे आमजन को 10 पैसे प्रति लीटर शुद्ध पेयजल मुहैया हो सकेगा। उन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, पानी का रिसाईकिलिंग किए जाने, हैण्डपम्प की साफ-सफाई रखी जाने व ग्राम पंचायत स्तर पर जलनीति बनाये जाने की जानकारी दी। कार्यशाला में धोद प्रधान उस्मान खां, दांतारामगढ़ प्रधान भंवरलाल वर्मा, जिला परिषद सदस्य ताराचन्द धायल, बनवारीलाल पिलानियां, रामस्वरूप महिचा ने जल संरक्षण के सम्बन्ध में अपने सुझाव दिए। कार्यशाला में अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेन्द्र लोढ़ा, उप जिला प्रमुख पूरण कंवर, पिपराली प्रधान संगीता मूण्ड, अधिशाषी अभियन्ता विनोद दाधीच, गिरधारीलाल, चुन्नीलाल, संजय खीचड़, समन्वयक दीपेन्द्र सिंह, विनोद शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) ओमप्रकाश चलका, डीईओ (प्रारम्भिक) मन्नालाल सिंघल, भूजल वैज्ञानिक आर.डी.ज्याणी सहित मीडियाकर्मी एवं संभागीगण ने हिस्सा लिया।