डग :- कस्बे के गंगधार दरवाजा स्थित सत्यनारायण मंदिर परिसर में स्थानीय
निवासी टिकमचंद अग्रवाल कई सालो से कस्बे की जनता को गर्मी की षुरूआत
होते ही नीम के पेड की नई कुपलो द्वारा षरबत बनाकर लोगों को निषुल्क
वितरण करते है जिससे कई प्रकार की बिमारियों को रोकथाम होती है वही रक्त
संचार की षुद्धी भी होती है । प्रातः 6 बजे से ही नीम पिसना षुरू कर देते
है धीरे धीरे वहां नीम पीने वालो की कतारे लग जाती है एक तरफ नीम को पीना
अत्यन्त कठिन माना जाता है नीम का स्वभाव कडवा होने से उसको पीना मुष्किल
होता है मगर अग्र्रवाल द्वारा कई प्रकार के सामग्री डालकर षरबत तैयार
किया जाता है जिसे बच्चे, वृद्ध, महिलाऐं, बालिकाऐं, युवक आदि आसानी से
पीकर कई बिमारीयों की रोकथाम करते है ।
टीकमचंद अग्रवाल ने बताया कि नीम पिलाकर जनसेवा करना मेरी रूचि है मेरे
पूर्वज भी षुरू से ही कस्बे की जनता को नीम पिलाते आ रहे है जिस कड़ी को
में व मेरे परिवार वाले हमेषा जारी रखेगें, जनसेवा कर मुझे संतुश्ठि
मिलती है में इसे आगे भी बरकरार रखुंगा
निवासी टिकमचंद अग्रवाल कई सालो से कस्बे की जनता को गर्मी की षुरूआत
होते ही नीम के पेड की नई कुपलो द्वारा षरबत बनाकर लोगों को निषुल्क
वितरण करते है जिससे कई प्रकार की बिमारियों को रोकथाम होती है वही रक्त
संचार की षुद्धी भी होती है । प्रातः 6 बजे से ही नीम पिसना षुरू कर देते
है धीरे धीरे वहां नीम पीने वालो की कतारे लग जाती है एक तरफ नीम को पीना
अत्यन्त कठिन माना जाता है नीम का स्वभाव कडवा होने से उसको पीना मुष्किल
होता है मगर अग्र्रवाल द्वारा कई प्रकार के सामग्री डालकर षरबत तैयार
किया जाता है जिसे बच्चे, वृद्ध, महिलाऐं, बालिकाऐं, युवक आदि आसानी से
पीकर कई बिमारीयों की रोकथाम करते है ।
टीकमचंद अग्रवाल ने बताया कि नीम पिलाकर जनसेवा करना मेरी रूचि है मेरे
पूर्वज भी षुरू से ही कस्बे की जनता को नीम पिलाते आ रहे है जिस कड़ी को
में व मेरे परिवार वाले हमेषा जारी रखेगें, जनसेवा कर मुझे संतुश्ठि
मिलती है में इसे आगे भी बरकरार रखुंगा