आधा दर्जन दमकलों ने आग पर पाया काबु, देर रात्री दो बजे लगी आग

रींगस. परसरामपुरा स्थित रीकों औधोगिक क्षेत्र की एक प्लाईवुड फैक्ट्री में देर रात्री आग लग गई जिससे फैक्ट्री में रखा लाखों रूपये का सामान जलकर राख हो गया। आग बुझाने के लिए आठ दमकल व एक दर्जन से अधिक टैंकरो को करीब आठ घंटे का समय लगा। पुलिस जानकारी के अनुसार खाटूश्यामजी रीकों औद्योगिक क्षेत्र सरगोठ में जयपुर निवासी प्रदीप कुमार व दिल्ली निवासी निखिल मितल की अग्रवाल प्राइम स्टील के नाम से प्लाई वुड की फैक्ट्री है। फैक्ट्री में मंगलवार मध्यरात्रि दो बजे अचानक आग लग गई, आग ने देखते ही देखते फैक्ट्री के एक हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया, आग की सूचना पर रींगस थाने के एसआई अमित कुमार मय जापते मौके पर पहुंचे तथा आस पास की दमकलों को आग की सूचना दी। सूचना पर श्रीश्याम मन्दिर कमेटी खाटूश्यामजी, रीकों रींगस की दमकल मौके पर पहुची लेकिन पर्याप्त पानी की व्यवस्था न होने के कारण लोगों ने टैंकरों एवं बोरिंगों का सहारा लिया। मौके पर पहुचे डीवाईएसपी राजेन्द्र बेनीवाल ने सीकर, चौमू, कालाडेरा एवं श्रीमाधोपुर की दमकलों को सूचना दी। जिस पर श्रीमाधोपुर, रीको औद्योगिक क्षेत्र कालाडेरा, नगरपालिका चौमू वं सीकर की दमकल भी मौके पर पहुची। आठ दमकलों व एक दर्जन टैंकरो को आग बुझाने में करीबन आठ घंटे का समय लगा। प्रत्यक्षदर्शी झाबर मल बिजारणिया ने बताया कि रात्रि में करीब दो-ढाई बजे के आसपास आग की सूचना मिली उस समय आग ने विकराल रूप धारण कर लिया था। महरोली पांवर हाउस में सूचना देकर बिजली की सप्लाई चालू करवाई गई तथा दो बोरिंगों एवं एक दर्जन टैंकरों से आग बुझाने के प्रयास किये गये। हादसे के दौरान किसी प्रकार की कोई जन हानी नहीं हुई। इस दौरान रींगस नगरपालिका के लेखाअधिकारी गोपाल बिंवाल, सेवानिवृत दमकल अधिकारी रघुवीर सिंह तंवर सहित आपसपास के लोगों ने आग पर काबू पाने के लिए अपने स्तर पर भी प्रयास किये।
नहीं था फायर अलार्म

फैक्ट्री में आग लगने के बाद फैक्ट्री की लापरवाही देखने को मिली। डिप्टी राजेन्द्र बेनिवाल ने बताया कि रात दो बजे के करीब फक्ट्री में आग लगी थी लेकिन फैक्ट्री मालिकों ने पुलिस को चार बजे करीब सूचना दी। जिसके बाद आग को बुझाने के प्रयास किये गये। हादसे की सुचना समय पर मिलती तो एक बडी हानी रूक सकती थी। लकडी के काम की फैक्ट्री होने के बाद भी फैक्ट्री में आग बुझाने के कोई संसाधन या अलार्म नहीं था।
रीकों में नही है पर्याप्त व्यवस्थायें
रीकों औद्योगिक क्षेत्र में आग बुझाने के लिए मात्र एक दमकल की गाडी है। जो कि बडे हादसे के समय ना काफी है। बडा हादसा होने पर चौमू या सीकर से गाडी बुलानी पड़ती है जिसके पहुचने में करीबन एक घंटे का समय लग जाता है। सीकर या चौमू की दमकल आने तक आग विकाराल रूप धारण कर लेती है या सबकुछ जलकर राख हो जाता है। वही औधोगिक क्षेत्र की दर्जनों फैक्ट्रीयां के बाहर तो नाम का कोई बोर्ड तक नहीं है। जिससे आपात स्थिति में उचित संसाधन मौके पर पहुंचने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्थानीय जानकारी लेकर फायर मशिनों को मौके पर पहुंचना पडता है।
इनका कहनाः- रात करीब चार बजे आग की सूचना मिली थी जिस पर आस पास की 8 दमकलों व निजी सहयोग से आठ घंटे बाद आग पर काबू पाया गया। प्रथम द्रष्टी फैक्ट्री की लापरवाही देखने को मिल रही है। मामले की जांच की जा रही है। राजेन्द्र बेनिवाल, डिप्टी रींगस।