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माता के दरबार मे कलक्टर, सीईओं, एसीईओ, अधिकारियों, कार्मिकों ने संभाला फावड़ा, गैंती और उठाई तगारी

जीणमाता में झरने की बावड़ी पर हुआ सामूहिक श्रमदान
जलसरंक्षण कार्य में जुटे लोग, आमजन ने दिखाया उत्साह
सीकर 10 जून। शनिवार को जिले के दांतारामगढ़ उपखण्ड के जीणमाता में मन्दिर के पास स्थित झीर की बावडी स्थल पर मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत जिला कलेक्टर, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पुलिस कार्मिको, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा सहयोगियों, विद्यार्थियों, जन प्रतिनिधियों, अन्य अधिकारियों और आमजन ने सामूहिक श्रमदान में सक्रिय भागीदारी व भरपूर उत्साह दिखाया।
प्रातः शुरू हुआ सामूहिक श्रमदान के इस सिलसिले में खुद जिला कलेक्टर नरेश कुमार ठकराल ,सीईओ सुखवीर सिंह चौधरी, एसीईओं अनुपम कायल, पुलिस कार्मिकों एवं जन प्रतिनिधियों ने फावड़ा,गैती व तगारी उठाकर श्रमदान कर रहे लोगों का होसला बढ़ाया और अभियान में कंधे से कंधा मिलाकर लोगों के साथ जुटे। जब जिला कलेक्टर झीर की बावड़ी पर पहुंचे तो वहां पर सैकड़ों लोग श्रमदान पर जुटे थे। इस पर जिला कलेक्टर ने उनकी सराहना कर उनका हौंसला बढ़ाने के लिए खुद भी तगारी उठाई। उनकी पहल पर उपस्थित लोगों ने जोश-खरोश के साथ सामूहिक श्रमदान ने एक जुट होकर सहभागिता निभाई।
   
इस अवसर पर जिला कलेक्टर ने कहा कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की मंशा एवं जल संरक्षण के प्रति सोच से चलाए गए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में अपार जन सहयोग मिल रहा है। यह अभियान जल संरक्षण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि झीर की बावड़ी पर किए गए सामूहिक श्रमदान से बरसाती जल का संरक्षण तो होगा ही ऎतिहासिक धरोहर रूपी बावड़ी भी दर्शनीय बन जाएगी। वापस पुराने स्वरूप में आएगी और झरना वापस से बहने लगेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जल का संरक्षण बहुत जरूरी है। इसके लिए समस्त स्त्रोतों को जीवित रखना तथा जल की एक-एक बूंद कीमत समझते हुए पानी को बर्बाद होने से बचाना चाहिए।
   
उन्होंने मिट्टी से भरी बावड़ी को खाली करने के लिए कतारबद्ध होकर एक-दूसरे को तगारी सुपुर्द कर दूसरी जगह मिट्टी डाल रहे थे। उन्होंने ग्रामवासियों बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने सामूहिक श्रमदान में भाग लेकर प्रकृति की गोद में जीणमाता के सानिध्य में पुण्य का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि एमजेएसए अभियान आमजनता का अभियान है इसमें सभी की साझेदारी महत्वपूर्ण भी है। प्रदेश में वर्षा सीमित होती है इस सीमित जल का संचय करने व उपयोग करने में हमारी प्राचीन परम्परागत पद्धतियां कारगार रही है। उन्हीं कुएं और बावड़ियों का संरक्षण की जरूरत है। अभियान के तहत कुओं, बावड़ियों, खड़ीन, फार्म पोण्ड एवं नाड़ी के माध्यम से वर्षा जल को भूमि में समाहित करने का प्रयास किया जा रहा है जिससे गिरते भू जल स्तर में सुधार होगा।
   
सामूहिक श्रमदान कार्यक्रम में अधीक्षण अभियन्ता (वाटरशैड) राजेन्द्र सिंह चौधरी, उपवन संरक्षक राजेन्द्र हुड्डा, उपनिदेशक कृषि प्रमोद कुमार, सीएमएचओ डॅा. विष्णु मीणा, विकास अधिकारी सुप्यार कंवर,पीआरओ सम्पत राम चान्दोलिया, एपीआरओ पूरणमल, विद्यार्थियों, पुलिस कार्मिकों, नायब तहसीलदार, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक दयाल सिंह,प्रारम्भिक जगदीश प्रसाद, रेंजर हृदय सुमन शेखावत, नेहरू युवा केंद्र, जनप्रतिनिधियों, जीणमाता ट्रस्ट के पुजारी बनवारी लाल, मुकेश पारासर, पवन, रूपचन्द, भंवर, प्रहलाद आदि सहित ग्रामीणों ने सामूहिक भागीदारी दर्ज करवाई।

    पुजारी बनवार लाल ने प्राचीन बावड़ी की जानकारी देते हुए जिला कलेक्टर को बताया कि प्राचीन झीर बावड़ी अपना महत्व रखती है। जो लगातार बहती रहती थी जिससे लोग मटके भर कर ले जाते थे और जीणमाता मंदिर व श्रृद्धालुओं के पीने का काम आता था। परन्तु बारिश नहीं होने से यह पानी एक जगह भरा रहता है जो पीने योग्य नहीं है। मंदिर ट्रस्ट की योजना है कि बावड़ी के पूरे पानी को निकाल कर सफाई व मरम्म्त कार्य  करवाया जाएगा, झरने से पानी आएगा उसे पुनः परिक्षण के लिए भेजा जाएगा। ट्रस्ट द्वारा गांव वालों की बैठक आयोजित कर बावड़ी, जीणमाता मंदिर व इसके आस-पास की सफाई कार्य करवाया जायेगा।
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