रींगस। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने रींगस पुलिस उप अधीक्षक को गुरूवार शाम रिश्वत लेते दबोच लिया। डीएसपी ने रिश्वत दलाल के जरीये ज्यादती के मामले में एफआर लगाने की एवज में मांगी थी। हालंकी बाद में डीएसपी को ब्लड प्रशर हाई होने पर अस्पताल में भर्ती करवाना पडा। जयपुर से आयी ब्यूरो की टीम के एएसपी शंकर दत शर्मा ने बताया कि अलोदा गांव निवासी नारायण सिंह के खिलाफ 3 अप्रेल को इस्तगासे के जरीये ज्यादती का मामला दर्ज हुआ था। दातारामगढ सीआई को मामले की जांच सौपी गई। जांच में मामला झूठा निकला। इस पर सीआई ने मामले मंे एफआर लगा दी। शिकायत कर्ता ने एसपी को परिवाद पेश करके मामलें की जांच रींगस डिप्टी से करवान की गुजारिस की। जांच में रींगस डिप्टी नाथूराम महराणिया ने जेल भिजवाने की धमकी दी। नारायण सिंह ने महराणिया से सम्पर्क किया एफआर लगाने की एवज में 2 लाख रूपये की मांग की । 4 अगस्त को मामला एक लाख रूपये में तय हुआ तथा दो किस्तो में भुगतान की बात कही।

गुरूवार को दलाल मनोज अग्रवाल के भाई ने प्रथम किस्त केे रूप में खाटू में पचास हजार रूपये ले लिये। दूसरी किस्त के रूप में मनाज ने गोविन्दगढ के होटल गोविन्दगढ हवेली में पेसै लेने की बात कही। नाराणय ने एसीबी को सूचना दी तथा पेसै मनोज को दे दिये। मनोज पेसै लेकरे के डिप्टी के सरकारी क्वार्टर पर आया तथा पेसै डिप्टी को दे दिये। बाहर खडी टीम ने डिप्टी को दबोच लिया।
बिगडी तबीयत, जयपुर रैफरभ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कार्यवाही के बाद डिप्टी महराणिया की हालत बिगड गयी। महराणिया का बीपी हाई होने पर उपचार के लिये रींगस सीएचसी से डॉक्टर को बुलाया गया। बाद में हालत गम्भीर होने पर जयपुर रैफर कर दिया गया।
डेढ साल की बची थी नोकरीरिश्वत लेते पकडे गये डिप्टी नाथूराम महराणिया की नौकरी डेढ साल की ही बची थी। 2015 में महराणियां की सेवानिवृति होनी है। आखिरी वक्त में रिश्वत लेते एसीबी के हत्थे चढने पर नौकरी और प्रतिष्ठा पर दाग लग गया। पुलिस हलके में इस कार्यवाही की चर्चा रही।