केन्द्रो पर लगे है चार दिन से ताले
रींगस. सरकार जहां एक ओर मासूम बच्चों का स्वास्थ्य सुधारने के लिए आंगनबाडी केन्द्रो को बढावा दे रही है वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इन केन्द्रो के भवनों का किराया नहीं चुकाने के कारण बच्चे बाहर सड़क पर गंदगी व आवारा पशुओं के बीच बैठने को मजबूर है। कस्बे के पच्चीस वार्डो में बीस आंगनबाडी केन्द्र संचालित है जिनमे से 13 केन्द्र किराये के भवनों में संचालित है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने सितम्बर माह में प्रत्येक आंगनबाडी केन्द्र का पच्चीस सौ रूपये किराया तय किया था। किराया तय करने के बाद से आज तक 21 माह में विभाग ने भवन मालिकों को किराये के नाम पर एक फूटी कोडी भी नहीं दी। जिससे नाराज लोगों ने अपने भवनों पर ताले लगा दिये। केन्द्र का अवकाश न होने के कारण आंगनबाडी कार्यकर्ता बच्चें को केन्द्र के बाहर सड़क बैठा रही है। गर्मी के मौसम के कारण बच्चों का धूप में बैठना भी मुशकिल हो रहा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि समस्या को लेकर विभाग को कई बार अवगत करवाया गया है लेकिन विभाग समस्या का गम्भीरता से नहीं ले रहा है।
गन्दगी व आवारा पशुओ से परेशान है मासूम
आंगनबाडी केन्द्र नहीं खुलने के कारण बच्चे बाहर सड़क पर बैठते है। ऐसे मे आवारा कुत्तों के काटने या अन्य पशु द्वारा बच्चों पर हमला करके घायल करने का खतरा हर समय मण्डराता रहता है। परिजन भी बच्चों पर जान के खतरे को देखते हुऐ उन्हे केन्द्र पर भेजने से परहेज करने लग गये है।
सात लाख रूपये बकाया
निजी भवनों में संचालित वार्ड एक, दो , आठ, नौ, दस, 11, 12,13,14, 15,18 व 20 सहित कुल 13 आंगन बाडी केन्द्रो का पिछले 21 माह से किराये का भुगतान बकाया चल रहा है। जो छह लाख बंयासी हजार पांच सौ रूपये बनता है। वार्ड 18 की भवन मालकिन मन्नी देवी ने बताया कि किराये के लिए विभाग को कई बार अवगत करवाया गया लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला है जिसके कारण उन्हे केन्द्र पर ताला लगाना पड़ रहा है।
इनका कहनाः- भवन मालिक द्वारा केन्द्र पर ताला लगाने के बाद विभाग को अवगत करवाया गया था लेकिन चार दिन से समस्या को कोई समाधान नहीं हुआ है। केन्द्र का अवकाश न होने के कारण बच्चों को सड़क पर बैठाना पड़ रहा है। पुष्पलता पारीक, आंगनबाडी कार्यकर्ता
मकान मालिको का किराया मेरे आने के पहले से बकाया चल रहा था तथा एनओसी नहीं मिलने के कारण भुगतान मे देरी हो रही है इसी महिने सभी के किराये का भुगतान करवाया जायेगा। दयाशंकर शर्मा, डीडी महिला एवं बाल विकास विभाग सीकर।
गन्दगी व आवारा पशुओ से परेशान है मासूम
आंगनबाडी केन्द्र नहीं खुलने के कारण बच्चे बाहर सड़क पर बैठते है। ऐसे मे आवारा कुत्तों के काटने या अन्य पशु द्वारा बच्चों पर हमला करके घायल करने का खतरा हर समय मण्डराता रहता है। परिजन भी बच्चों पर जान के खतरे को देखते हुऐ उन्हे केन्द्र पर भेजने से परहेज करने लग गये है।
सात लाख रूपये बकाया
निजी भवनों में संचालित वार्ड एक, दो , आठ, नौ, दस, 11, 12,13,14, 15,18 व 20 सहित कुल 13 आंगन बाडी केन्द्रो का पिछले 21 माह से किराये का भुगतान बकाया चल रहा है। जो छह लाख बंयासी हजार पांच सौ रूपये बनता है। वार्ड 18 की भवन मालकिन मन्नी देवी ने बताया कि किराये के लिए विभाग को कई बार अवगत करवाया गया लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला है जिसके कारण उन्हे केन्द्र पर ताला लगाना पड़ रहा है।
इनका कहनाः- भवन मालिक द्वारा केन्द्र पर ताला लगाने के बाद विभाग को अवगत करवाया गया था लेकिन चार दिन से समस्या को कोई समाधान नहीं हुआ है। केन्द्र का अवकाश न होने के कारण बच्चों को सड़क पर बैठाना पड़ रहा है। पुष्पलता पारीक, आंगनबाडी कार्यकर्ता
मकान मालिको का किराया मेरे आने के पहले से बकाया चल रहा था तथा एनओसी नहीं मिलने के कारण भुगतान मे देरी हो रही है इसी महिने सभी के किराये का भुगतान करवाया जायेगा। दयाशंकर शर्मा, डीडी महिला एवं बाल विकास विभाग सीकर।